कुछ बात तो है इस दिल को बेकरार किया उसने। ~एकांत नेगी
हम उससे थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं,
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले,
क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,
बिछड़ के तुझसे हर रास्ता सुनसान रहता है,
सौदा करते हैं लोग यहाँ एहसासों के बदले,
मैं घर का रास्ता भूला, shayari in hindi जो निकला आपके शहर से,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
जर्रे-जर्रे में वो है और कतरे-कतरे में तुम।
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।