ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
खरीद लाये थे कुछ सवालों का जवाब ढूढ़ने।
जहाँ तक रास्माता मालूम था हमसफर चलते गए,
जब से तुमको देखा है दिल बेकाबू हमारा है,
अगर मोहब्बत से पेश आते तो न जाने क्या होता।
न जाने उससे मिलने का इरादा कैसा लगता है,
भटका हूँ तो क्या हुआ संभालना भी खुद को होगा।
महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयों में हम,
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,
चेहरा quotesorshayari तेरा चाँद का टुकड़ा सारे जहाँ से प्यारा है।
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
सूरज की तरह तेज मुझमें मगर मैं ढलता रहा,
कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे?
नजर तुमसे जो मिल जाये ज़माना भूल जाता हूँ।